Battlefield and Authentic Understanding
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A few days ago, we were studying the Bhagavad Gita with a very learned Acharya (teacher). On the first day of our study, Acharya ji raised the question: Why did Lord Krishna choose the battlefield of the Mahabharata to impart…
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युद्धभूमि और विश्वशनीय समझ कुछ दिनों पूर्व हम एक बहुत ज्ञानी आचार्य जी के साथ गीता का अध्ययन कर रहे थे। अध्ययन के पहले दिन आचार्य जी ने यह प्रश्न उठाया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को (या पूरे विश्व…
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I spent the past two months at the Sivananda Ashram in Rishikesh. There, I had the opportunity to undertake a very basic course in Yoga and Vedanta. In these 59 days, I learned and experienced a lot. Among all, the…
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सेवा और भक्ति पिछले दो माह शिवानंद आश्रम, ऋषिकेश में रहा। वहाँ योग एवं वेदान्त का एक बहुत ही बेसिक कोर्स करने का अवसर प्राप्त हुआ। इन 59 दिनों में मैंने बहुत कुछ सीखा और जाना। इस दौरान जिन दो…
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Hindu Philosophy Obeisance to Sri Kapila Muni, the founder of the Sankhya system of philosophy, the son of Brahma, the Avatara of Vishnu. The word ‘Sankhya’ means ‘number’. The system gives an enumeration of the principles of the universe, twenty-five…
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This is the 18th verse from The Bhagavad Gita from Chapter IV, the commentary is given Sri Swami Sivananda कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः। स बुद्धिमान् मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत् ॥१८॥ He who seeth inaction in action and action…
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सनातन सत्य के सूत्र हम अक्सर यह चर्चा करते हैं कि भारतीयता का आधार सनातन सत्य है। उस सत्य की झलक हमें हमारे सनातन साहित्य में सहज ही मिल जाती है। वैसे तो सम्पूर्ण साहित्य का अध्ययन इस आलोक में…
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मौलिकता की ओर प्रेरित करता इकोसिस्टम हम दायरों में रहने के आदी हो चुके हैं। जो भी चला आ रहा है, उसी के अनुसार चलते रहना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति बन गई है। “अधिक प्रयास मत करो,” यही हमारा अवचेतन संदेश…
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‘आगे बढ़ना’ क्या है? मैंने 19 वर्षों तक मुख्यधारा की परियोजनाओं में काम किया। दिन-भर की व्यस्तता, अनगिनत ईमेल, फोन कॉल और असंख्य चर्चाएँ… लेकिन यह सब किस लिए? मैं खुद से पूछता था – क्या मैं सही दिशा में…
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सनातन का अर्थ है “Eternal and Perennial Truth”— शाश्वत और सतत सत्य। कृष्णमूर्ति के शब्दों में, यह “What Is” है। It is a given. You can’t do anything about it. इसलिए इसमें तर्क नहीं है। यह तो बस है। जैसा…
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अर्थ का अनुभव और शब्द – भाग-2 पिछले सप्ताह के ब्लॉग में मैंने ‘अर्थ का अनुभव और शब्द’ पर अपने विचार साझा किए। मैं उस समय यह देख पा रहा था कि अर्थ को हम स्वयं के भीतर देखते हैं…
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अर्थ का अनुभव और शब्दजब मनुष्य के बीच भाषा विकसित हो रही होगी, तब वस्तुओं और क्रियाओं के नामकरण अपने-अपने स्तर पर हो रहे होंगे। नामकरण से पहले भी ये सभी वस्तुएँ और क्रियाएँ अस्तित्व में रही ही होंगी। मनुष्य…
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