Author: Anil Maikhuri

  • ‘Aagé baṛhnā’ kya hai?

    ‘आगे बढ़ना’ क्या है? मैंने 19 वर्षों तक मुख्यधारा की परियोजनाओं में काम किया। दिन-भर की व्यस्तता, अनगिनत ईमेल, फोन कॉल और असंख्य चर्चाएँ… लेकिन यह सब किस लिए? मैं खुद से पूछता था – क्या मैं सही दिशा में आगे बढ़ रहा हूँ? क्या यह व्यस्तता सार्थक है? मेरे मित्र ‘आगे बढ़ने’ के विचार…

  • Arth ka Anubhav aur Shabd Part – 2

    अर्थ का अनुभव और शब्द – भाग-2 पिछले सप्ताह के ब्लॉग में मैंने ‘अर्थ का अनुभव और शब्द’ पर अपने विचार साझा किए। मैं उस समय यह देख पा रहा था कि अर्थ को हम स्वयं के भीतर देखते हैं और उसको संप्रेषित करने के लिए शब्द का उपयोग करते हैं। चर्चा में यह भी…

  • Arth ka Anubhav aur Shabd

    अर्थ का अनुभव और शब्दजब मनुष्य के बीच भाषा विकसित हो रही होगी, तब वस्तुओं और क्रियाओं के नामकरण अपने-अपने स्तर पर हो रहे होंगे। नामकरण से पहले भी ये सभी वस्तुएँ और क्रियाएँ अस्तित्व में रही ही होंगी। मनुष्य ने अपने संचार की सुविधा के लिए उन्हें अपनी भाषा के अनुसार शब्द दिए। ये…

  • Maanyataaye aur Jadata

    मान्यताएं और जड़ता सूर्य एक स्थान पर स्थिर है और पृथ्वी उसकी परिक्रमा कर रही है। साथ ही, वह अपनी धुरी पर भी समान गति से घूम रही है। यह हम सभी जानते हैं। पृथ्वी और सूर्य की यह स्थिति अनादिकाल से गतिशील होने के बावजूद स्थिर है। हालांकि, हमें पृथ्वी पर हर क्षण बदलाव…

  • DrishtiKon (Approach)

    साधारण भारतीय दृष्टिकोण साधारण भारतीय व्यक्ति का दृष्टिकोण, उसके जीवन में गहराई से जमीं हुई मान्यताओं से संचालित होता है। इन मान्यताओं को लेकर उसमें न तो कोई ग्लानि होती है और न ही कोई दंभ। उसके लिए मानना या विश्वास करना एक सहज प्रक्रिया है। वह स्वयं को इस अस्तित्व का एक छोटा-सा अंश…

  • Jatiltaoun Se Mukt ‘Mai’

    जटिलताओं से मुक्त ‘मैं’ बहुत पहले ‘संवाद की कला’ पर एक लेख पढ़ा था। उस लेख की पहली पंक्ति आज भी मुझे याद रहती है, “आप जिसके साथ संवाद स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, वह किसी अन्य वस्तु से दस गुना अधिक स्वयं में रुचि रखता है।” इसलिए संवाद की शुरुआत हमेशा इस…

  • ‘Ardhanarishwara‘ and ‘Sampurnata’ 

    ‘अर्धनारीश्वर’ एवं ‘सम्पूर्णता’   आज की दुनिया में हम सहजता और सम्पूर्णता में चीजों/विषयों को देख ही नहीं पा रहे हैं। मानस ही कुछ ऐसा हो गया है कि हम एक समय में सिर्फ एक ही चीज को देख पाते हैं। इसके चलते संभवतः सम्पूर्ण अस्तित्व के साथ उसका जुड़ाव देखने के बजाय हमें सम्पूर्ण…

  • Our Efforts and Divine Intervention

    We all love listening to Lata Mangeshkar. I personally adore her music. A few days ago, I was listening to a young singer on YouTube. She was presenting a song sung by Lata ji in a very beautiful way. After the performance, she was asked, “You sang Lata ji’s song so beautifully, what inspiration do…

  • Hamara Prayas our Ishwariya Hastakshep

    हमारे प्रयास और ईश्वरीय हस्तक्षेप हम सभी को लता मंगेशकर को सुनना पसंद है। मुझे तो यह बहुत ही प्रिय है। कुछ दिनों पहले मैं यूट्यूब पर एक युवा गायिका को सुन रहा था। वह बहुत सुंदर तरीके से लता जी का गाया हुआ गाना प्रस्तुत कर रही थीं। गाने के बाद उनसे पूछा गया,…

  • Accept Yourself with Courage

    साहस के साथ स्वयं को स्वीकार कीजिए हाल ही में मुझे ‘कृष्णमूर्ति फाउंडेशन इंडिया’ द्वारा वाराणसी के राजघाट में 9 से 12 नवंबर, 2024 को आयोजित ‘KFI Annual Gathering-2024’ में भाग लेने का अवसर मिला। इससे कुछ ही दिन पहले, मैं वाराणसी में सिद्ध द्वारा आयोजित ‘संगीत संवाद’ के सिलसिले में वहां गया था। मात्र…

  • Accept Yourself with Courage

    Recently, I had the opportunity to participate in the “KFI Annual Gathering-2024,” organized by the Krishnamurti Foundation India, at Rajghat in Varanasi from November 9–12, 2024. Just a few days before this, I had visited Varanasi for a “Musical Retreat” event organized by SIDH. I decided to attend this gathering due to my curiosity, despite…

  • Meeting Life: An enquiry into the fragmented self

    Summary of Prof. Samdong Rinpoche’s Discourse on the Occasion of the KFI Annual Gathering 2024 Fortunately, I have the opportunity to participate in the ‘KFI Annual Gathering-2024,’ organized by the Krishnamurti Foundation at Rajghat, Varanasi, from November 9 to 12, 2024. The theme is “Meeting Life: An enquiry into the fragmented self.” Today is the…