Author: Anil Maikhuri
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The Difference Between ‘Saying’ and ‘Being’
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There is a significant difference between ‘saying’ and ‘being.’ All around us, much is being said—some of it makes sense, some doesn’t. Some things resonate within us, while others fail to leave a mark. Upon closely observing this dynamic, two key scenarios emerge. In the first scenario, we speak with ourselves at the center of…
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सहज दृष्टा
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जिन्हें भी हम स्वयं को समझने के लिए या संसार को समझने के लिए आदर्श मानते हैं उनमें जे. कृष्णमूर्ती, रमण महर्षी, ओशा आदि या विपश्यना, उपनिषद, वेद आदि शामिल हैं, वे सभी किसी ना किसी रूप में दृष्टा की बात करते हैं। जे. कृष्णमूर्ती उसे बिना अपने किसी पूर्वाग्रह के और उससे महत्वपूर्ण बिना…
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सत्य
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सत्य, एक ही होता है। सबका अपना-अपना सत्य नहीं होता। सत्य निर्विवाद है। मनुष्य, होने के नाते हममें यह क्षमता है कि हम सत्य को देख सकते हैं। संभवतः प्रारम्भ में हम पूरे सत्य को ना देख सकें, वह अवस्था भी आ सकती है लेकिन अभी उसकी बात नहीं करते हैं। जिस तरह हम, अपने…
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Sangoshthi on Bharatiyata at Kaneri Math
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जीविका आश्रम, इन्द्राना, मध्यप्रदेश व सिद्ध, मसूरी, उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 2 से 5 नवम्बर, 2023 को कणेरी मठ्ठ, कोल्हापुर, महाराष्ट्र में एक संगोष्ठी आयोजित हुई। संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रान्तों से 7 संस्थानों से जुड़े लगभग 22 प्रतिभागि आये थे। मार्गदर्शन हेतु कणेरी मठ्ठ के मठाधीपति पुज्यश्री अदृश्य काडसिद्धेश्वर स्वामीजी उपस्थित…
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Hanuman’s first meeting with Shri Ram
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बाल्मीकि रामायण के किष्किन्धाकाण्ड में सुग्रीव के कहने पर हनुमान जी राम और लक्ष्मण के समीप जाकर, एक साधारण तपस्वी का रूप धारण कर अत्यन्त विनीत भाव व मधुर वाणी में वार्तालाप प्रारम्भ करते हैं। वे राम-लक्ष्मण से पहली बार मिल रहे हैं लेकिन फिर भी उनकी बातों को सुन और उनके व्यवहार को देख…
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The Ramayan Series: Part 2
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राम को वनवास हो जाने पर कौशल्या भरत पर आरोप लगाती हैं कि तुने अपने भाई को वनवास भेजने और अयोध्या का राज हथियाने की सजिश की। इस पर भरत उस काल में निषिद्ध कर्मों का वर्णन यह कहते हुए करते हैं कि यदि उन्होंने ऐसी किसी भी साजिश में हिस्सा लिया होगा तो उन्हें…
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The Ramayana Series: Part-1
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वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण के बालकाण्डम् के षष्ठ सर्गः में राजा दशरथ की आयोध्या पूरी में रहने वाले नागरिकों की उत्तम स्थिति का वर्णन है। यह बहुत रोचक वर्णन है और हमें भारतीयता की दृष्टि और उसके अन्तर्गत मनुष्य के किन गुणों को प्राथमिकता मिलती रही है इसकी एक झलक देता है। 6-वें श्लोक…