“एक भाग है उन आधे प्रतिशत लोगों का जो अपने सहायक तथा सेवक वर्ग के सहारे, जो कि लगभग १५-२० प्रतिशत बैठता है, भारत के तंत्र और साधन क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं। दूसरा भाग उन ८०-८५ प्रतिशत लोगों का है, जो अपने अति सीमित साधनों और अवशिष्ट बल से ही जी रहे हैं ।. . . . लेकिन बृहत् समाज को हीन मानकर, उनका उद्धार और कल्याण करने की युक्तियां देते हुए, राष्ट्रीय साधनों स्रोतों पर नियंत्रण रखना तो हमें छोड़ना ही होगा। ऐसे न्यायपूर्ण विभाजन, संयोजन और समन्वय द्वारा राष्ट्र में २०-३० वर्षों के लिये दोनों हिस्सों का शक्तिपूर्ण सह अस्तित्व रह सकना सम्भव है। ऐसे सह अस्तित्व की अवधि में, हमें कुछ अधिक साहस और शक्ति मिली तो हम मिलकर आगे का भी सोच सकेंगे और ऐसे रास्ते व व्यवस्थायें बना सकेंगे जिनके द्वारा हमारा यह टूटा बिखरा समाज फिर से एक होकर आगे बढ़ सकेगा।”
– धर्मपाल, ‘हमारे सपनों का भारत?’
I recorded a zoom meeting with Pawanji where we talked about the above quote by Dharampalji and what it meant for people like us – the 15-20% elite class of India. I have edited a relevant video clip and uploaded it on the SIDH Youtube channel.
This is a conversation that we at SIDH are very eager to engage in. I hope that you find it thought-provoking and useful.
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