Year: 2025
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Sanātan Satya ke Sūtra
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सनातन सत्य के सूत्र हम अक्सर यह चर्चा करते हैं कि भारतीयता का आधार सनातन सत्य है। उस सत्य की झलक हमें हमारे सनातन साहित्य में सहज ही मिल जाती है। वैसे तो सम्पूर्ण साहित्य का अध्ययन इस आलोक में सहायक सिद्ध होता है, लेकिन हाल ही में कुछ ऐसे सूत्र मिले, जिन्हें सनातन सत्य…
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Maulikta ki or Prerit Karta Ecosystem
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मौलिकता की ओर प्रेरित करता इकोसिस्टम हम दायरों में रहने के आदी हो चुके हैं। जो भी चला आ रहा है, उसी के अनुसार चलते रहना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति बन गई है। “अधिक प्रयास मत करो,” यही हमारा अवचेतन संदेश है। हम शारीरिक परिश्रम के लिए तो तैयार हैं – नौकरी मिल जाए, सुबह 10…
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‘Aagé baṛhnā’ kya hai?
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‘आगे बढ़ना’ क्या है? मैंने 19 वर्षों तक मुख्यधारा की परियोजनाओं में काम किया। दिन-भर की व्यस्तता, अनगिनत ईमेल, फोन कॉल और असंख्य चर्चाएँ… लेकिन यह सब किस लिए? मैं खुद से पूछता था – क्या मैं सही दिशा में आगे बढ़ रहा हूँ? क्या यह व्यस्तता सार्थक है? मेरे मित्र ‘आगे बढ़ने’ के विचार…
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Sanātana
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सनातन का अर्थ है “Eternal and Perennial Truth”— शाश्वत और सतत सत्य। कृष्णमूर्ति के शब्दों में, यह “What Is” है। It is a given. You can’t do anything about it. इसलिए इसमें तर्क नहीं है। यह तो बस है। जैसा है, वैसा है। इसे पहचानना होता है। समझने जैसा कुछ नहीं है। सिर्फ देखना होता…
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Arth ka Anubhav aur Shabd Part – 2
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अर्थ का अनुभव और शब्द – भाग-2 पिछले सप्ताह के ब्लॉग में मैंने ‘अर्थ का अनुभव और शब्द’ पर अपने विचार साझा किए। मैं उस समय यह देख पा रहा था कि अर्थ को हम स्वयं के भीतर देखते हैं और उसको संप्रेषित करने के लिए शब्द का उपयोग करते हैं। चर्चा में यह भी…
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Arth ka Anubhav aur Shabd
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अर्थ का अनुभव और शब्दजब मनुष्य के बीच भाषा विकसित हो रही होगी, तब वस्तुओं और क्रियाओं के नामकरण अपने-अपने स्तर पर हो रहे होंगे। नामकरण से पहले भी ये सभी वस्तुएँ और क्रियाएँ अस्तित्व में रही ही होंगी। मनुष्य ने अपने संचार की सुविधा के लिए उन्हें अपनी भाषा के अनुसार शब्द दिए। ये…
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Maanyataaye aur Jadata
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मान्यताएं और जड़ता सूर्य एक स्थान पर स्थिर है और पृथ्वी उसकी परिक्रमा कर रही है। साथ ही, वह अपनी धुरी पर भी समान गति से घूम रही है। यह हम सभी जानते हैं। पृथ्वी और सूर्य की यह स्थिति अनादिकाल से गतिशील होने के बावजूद स्थिर है। हालांकि, हमें पृथ्वी पर हर क्षण बदलाव…
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Anubhava and Maanyataaye
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अनुभव और मान्यताएं अनुभव को मान्यताओं से अलग रखना जरूरी है, अन्यथा अनुभव पर बहुधा मान्यताएं हावी हो जाती हैं। मान्यताएं अपनी memory में होती हैं, विगत से आती हैं। अनुभव वर्तमान में होता है फिर वह हमारी मान्यता बन सकता है। अनुभव में भेद करना जरूरी लगता है। दो अलग अलग प्रकार के अनुभवों…
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INVOCATION
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Q&A with Sri Ramana Maharshi (Master) Is there any way of adoring the Supreme which is all, except by abiding firmly as that! Disciple: Master! What is the means to gain the state of eternal bliss, ever devoid of misery? Master: Apart from the statement in the Veda that wherever there is body there is misery, this is…
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DrishtiKon (Approach)
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साधारण भारतीय दृष्टिकोण साधारण भारतीय व्यक्ति का दृष्टिकोण, उसके जीवन में गहराई से जमीं हुई मान्यताओं से संचालित होता है। इन मान्यताओं को लेकर उसमें न तो कोई ग्लानि होती है और न ही कोई दंभ। उसके लिए मानना या विश्वास करना एक सहज प्रक्रिया है। वह स्वयं को इस अस्तित्व का एक छोटा-सा अंश…