Category: Uncategorized
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“Who am I?” and “Fundamental Virtues and Vices”
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‘मैं कौन हूँ’ एवं ‘मौलिक गुण व अवगुण’ ‘मैं कौन हूँ’ इस प्रश्न से हर कोई कभी न कभी जूझता ही है। इसी क्रम में एक और प्रश्न उभरा कि ‘वह कौन से मौलिक गुण या अवगुण हैं जो मैं अपने साथ पिछले जन्म से लेकर आया हूँ’। ये सवाल गहरे हैं और इन्हें आसानी…
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‘कहने’ और ‘होने का’ भेद
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हमारे चारों ओर बहुत कुछ कहा जा रहा है। उसमें से कुछ समझ में आता भी है और कुछ नहीं भी आता। कुछ है जो भीतर ठहर जाता है। और कुछ है जो सुनाई भी नहीं देता। इस पूरी स्थिति को थोड़ा बारीकी से देखने पर मुख्य तौर पर दो तरह की स्थितियाँ मुझे दिखायी…
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The Difference Between ‘Saying’ and ‘Being’
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There is a significant difference between ‘saying’ and ‘being.’ All around us, much is being said—some of it makes sense, some doesn’t. Some things resonate within us, while others fail to leave a mark. Upon closely observing this dynamic, two key scenarios emerge. In the first scenario, we speak with ourselves at the center of…
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सहज दृष्टा
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जिन्हें भी हम स्वयं को समझने के लिए या संसार को समझने के लिए आदर्श मानते हैं उनमें जे. कृष्णमूर्ती, रमण महर्षी, ओशा आदि या विपश्यना, उपनिषद, वेद आदि शामिल हैं, वे सभी किसी ना किसी रूप में दृष्टा की बात करते हैं। जे. कृष्णमूर्ती उसे बिना अपने किसी पूर्वाग्रह के और उससे महत्वपूर्ण बिना…
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सत्य
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सत्य, एक ही होता है। सबका अपना-अपना सत्य नहीं होता। सत्य निर्विवाद है। मनुष्य, होने के नाते हममें यह क्षमता है कि हम सत्य को देख सकते हैं। संभवतः प्रारम्भ में हम पूरे सत्य को ना देख सकें, वह अवस्था भी आ सकती है लेकिन अभी उसकी बात नहीं करते हैं। जिस तरह हम, अपने…